बीजेपी के समर्थकों ने यह सोचा कि वोट देने क्या जाना मोदी सरकार की वापसी हो ही रही है. दूसरी ओर विपक्ष के समर्थकों को भी ऐसा ही लगा है कि जीतना तो बीजेपी को ही है तो वोट देने की क्या जरूरत है? इसलिए चिंता की लकीरें तो दोनों ही ओर हैं.
अलीगढ़ में आज सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभी को संबधित करते हुए बीजेपी सरकार की उपलब्धियां तो गिनवाईं ही पर उन्होंने जनता से भारी संख्या में वोट करने की भी अपील की. उन्होंने यहां तक कहा कि वोटिंग के दिन सबसे पहले मतदान करें उसके बाद ही कोई दूसरा काम करें. सुबह-सुबह ही मतदान के उनके आग्रह के पीछे कहीं न कहीं पहले चरण में हुई कम वोटिंग का असर तो नहीं था? शुक्रवार को हुई वोटिंग में लगभग 63% वोट पड़े जबकि इन्हीं सीटों पर 2019 के आम चुनाव में कुल 66.44% वोटिंग हुई थी.
यह आम धारणा रही है कि कम वोटिंग में बीजेपी का नुकसान होता रहा है. पर इस बार की कम वोटिंग को समझना थोड़ा ज्यादा जटिल है. इसके पीछे एक नहीं कई कारण हैं. आइए समझते हैं कि क्यों कम वोटिंग सत्ता पक्ष ही नहीं विपक्ष के लोगों के लिए भी चिंता का कारण है. जिस तरह पहले चरण में अपेक्षाकृत कम वोट पड़े हैं उससे सभी दलों का गणित बिगड़ गया है. इसलिए नरेंद्र मोदी का चिंतित होना स्वभाविक ही है. कम वोटिंग से किसे लाभ या किसे नुकसान होगा, इसे जानने की कोशिश में तरह तरह के हवाई किले बनाए जा रहे हैं.